| 1. | यह स्तोत्र दरिद्रता को शीघ्र भगानेवाला और अभीष्ट वस्तु को देनेवाला है।
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| 2. | यह स्तोत्र दरिद्रता को शीघ्र भगानेवाला और अभीष्ट वस्तु को देनेवाला है।
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| 3. | इसी प्रकार मनुष्य अपने कर्म से अभीष्ट वस्तु को प्राप्त कर सकता है।
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| 4. | यह माता की भांति सब जीवों को सदा अभीष्ट वस्तु प्रदान करता है।
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| 5. | आवश्यक या अभीष्ट वस्तु अचानक या अनायास मिल जाती है तब ऐसा कहते हैं।
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| 6. | जब अभीष्ट वस्तु मिलती है उसके उपभोग में सक्रियता नहीं के बराबर रह जाती है।
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| 7. | वह जिस-जिस अभीष्ट वस्तु का चिन्तन करता है, उस-उसको निश्चय ही प्राप्त कर लेता है।
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| 8. | जब अभीष्ट वस्तु मिलती है उसके उपभोग में सक्रियता नहीं के बराबर रह जाती है।
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| 9. | वह जिस-जिस अभीष्ट वस्तु का चिन्तन करता है, उस-उसको निश्चय ही प्राप्त कर लेता है।
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| 10. | धमर्, अथर्, काम और मोक्ष की कामना से मनुष्य उन्हीं का भजन करके अपनी अभीष्ट वस्तु पर्ाप्त कर लेते हंै।
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